Biography of alhad bikaneri papa
अल्हड़ बीकानेरी की हास्य कविता- 'बस एक बार मुझको सरकार बनाने दो'
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अल्हड़ बीकानेरी को बचपन से ही संगीत, साहित्य और स्टेज शो के प्रति विशेष आकर्षण था. लेकिन उनके पिता हमेशा चाहते थे कि वे इंजीनियर बनें. 10वीं कक्षा में श्यामलाल यानी अल्हड़ बीकानेरी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए और उन्हें छात्रवृत्ति मिली.
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Wendy settler biography miscarriageइन हालात में प्रसिद्ध हास्य कवि अल्हड़ बीकानेरी की एक कविता ‘बस एक बार मुझको सरकार बनाने दो’ याद आती है. प्रस्तुत है यह कविता-
जो बुड्ढे खूसट नेता हैं, उनको खड्डे में जाने दो
बस एक बार, बस एक बार मुझको सरकार बनाने दो।
मेरे भाषण के डंडे से
भागेगा भूत गरीबी का।
मेरे वक्तव्य सुनें तो झगड़ा
मिटे मियां और बीवी का।
मेरे आश्वासन के टॉनिक का
एक डोज़ मिल जाए अगर,
चंदगी राम को करे चित्त
पेशेंट पुरानी टीबी का।
मरियल सी जनता को मीठे, वादों का जूस पिलाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।
जो कत्ल किसी का कर देगा
मैं उसको बरी करा दूंगा,
हर घिसी पिटी हीरोइन की
प्लास्टिक सर्जरी करा दूंगा;
लड़के लड़की और लेक्चरर
सब फिल्मी गाने गाएंगे,
हर कॉलेज में सब्जेक्ट फिल्म
का कंपल्सरी करा दूंगा।
हिस्ट्री और बीज गणित जैसे विषयों पर बैन लगाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।
जो बिल्कुल फक्कड़ हैं, उनको
राशन उधार तुलवा दूंगा,
जो लोग पियक्कड़ हैं, उनके
घर में ठेके खुलवा दूंगा;
सरकारी अस्पताल में जिस
रोगी को मिल न सका बिस्तर,
घर उसकी नब्ज़ छूटते ही
मैं एंबुलेंस भिजवा दूंगा।
मैं जन-सेवक हूं, मुझको भी, थोड़ा-सा पुण्य कमाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।
श्रोता आपस में मरें कटें
कवियों में फूट नहीं होगी,
कवि सम्मेलन में कभी, किसी
की कविता हूट नहीं होगी;
कवि के प्रत्येक शब्द पर जो
तालियां न खुलकर बजा सकें,
ऐसे मनहूसों को, कविता
सुनने की छूट नहीं होगी।
कवि की हूटिंग करने वालों पर, हूटिंग टैक्स लगाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।
ठग और मुनाफाखोरों की
घेराबंदी करवा दूंगा,
सोना तुरंत गिर जाएगा
चांदी मंदी करवा दूंगा;
मैं पल भर में सुलझा दूंगा
परिवार नियोजन का पचड़ा,
शादी से पहले हर दूल्हे
की नसबंदी करवा दूंगा।
होकर बेधड़क मनाएंगे फिर हनीमून दीवाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।
व्यंग्य और हास्य को हिंदी साहित्य में अलग मुकाम दिलाने वाले प्रसिद्ध हास्य कवि अल्हड़ बीकानेरी का जन्म 17 मई, 1937 को हरियाणा के रेवाड़ी जिले के बीकानेर गांव में हुआ था.
वे उर्दू और हिंदी के कवि थे. वे कवि सम्मेलनों की शोभा हुआ करते थे. मंचों पर वह गाकर कविताएं सुनाते थे.
अल्हड़ बीकानेरी को छंद कविता का विशेषज्ञ माना जाता था. हिंदी हास्य कविता के लिए उन्हें तमाम पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. उनकी लोकप्रियता न केवल भारत में सीमित थी बल्कि भारत के बाहर भी उनकी हास्य कविताएं मंचों पर गूंजती थीं.
अल्हड़ बीकानेरी ने 1962 में कविता, गीत और गज़ल कविताएं लिखना शुरू किया.
शुरूआत में उन्होंने उर्दू में गज़ल लिखनी शुरू कीं और लंबे समय तक उर्दू में ही लिखते रहे. बताते हैं कि हास्य कविताएं लिखने की प्रेरणा उन्हें काका हाथरसी से मिली.
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